दर्शन शास्त्र (Philosophy)

Q.1. दर्शन शास्त्र से आप क्या समझते हैं (What is the meaning of Philosophy) ?

उत्तर- दर्शन शास्त्र अंग्रेजी का शब्द philosophy का पर्याय है जो की दो ग्रीक शब्द ‘फिलोस’ अर्थात अनुराग या प्रेम तथा ‘सोफिया’ अर्थात ज्ञान या विद्या से बना है, इस प्रकार philosophy का शाब्दिक अर्थ है – ज्ञान से प्रेम | दर्शन शास्त्र को तर्कबुद्धि परक अन्वेषण कहा जाता है | अरस्तु के अनुसार मानव एक विवेकशील प्राणी है, जो अपनी बुद्धि का प्रयोग कर सतत ज्ञान की तलाश में रहता है, यही दर्शन शास्त्र का आधार है | चूँकि यह पद्धति दर्शन की है इसलिए दर्शन को सभी विषयों की जननी कहा जाता है | आज विभिन्न विज्ञानों का अपना स्वतंत्र क्षेत्र एवं अस्तित्व है, किन्तु प्रराम्भ में दर्शन शब्द का प्रयोग विज्ञान सहित संपूर्ण ज्ञान के लिए किया जाता था | (Philosophy is synonymous with the English word philosophy, which is made up of two Greek words ‘philos’ meaning affection or love and ‘sophia’ meaning knowledge or learning, thus the literal meaning of philosophy is – love of knowledge. Philosophy is called investigation based on logic. According to Aristotle, man is a rational being, who is constantly in search of knowledge using his intelligence, this is the basis of philosophy. Since this method is of philosophy, philosophy is called the mother of all subjects. Today various sciences have their own independent field and existence, but initially the word philosophy was used for complete knowledge including science.)

Q.2. दर्शन शास्त्र के स्वरुप का वर्णन कीजिए (Describe the nature of philosophy) ?

उत्तर- दर्शन शास्त्र को तर्कबुद्धि परक अन्वेषण कहा जाता है | अरस्तु के अनुसार मानव एक विवेकशील प्राणी है, जो अपनी बुद्धि का प्रयोग कर सतत ज्ञान की तलाश में रहता है, यही दर्शन शास्त्र का आधार है | दर्शन शास्त्र का विषय दार्शनिक, विधियां, क्षेत्र एवं विचारगत समस्याओं में विविधता है | निम्न बिन्दुओं के आधार पर इसके स्वरुप को समझा जा सकता है (Philosophy is called investigation based on logic. According to Aristotle, man is a rational being, who is constantly in search of knowledge using his intelligence, this is the basis of philosophy.The subject matter of philosophy is diversity in philosophical, methods, fields and conceptual problems. Its nature can be understood on the basis of the following points-

  • दर्शन बौद्धिक चिंतन की प्रणाली है (Philosophy is a system of intellectual thinking).
  • दर्शन निरपेक्ष प्रणाली है | (philosophy is an absolute system)
  • विश्वासों का समीक्षात्मक मुल्यांकन | (critical evaluation of beliefs)
  • दर्शन विश्व को उसकी समग्रता में जानने का प्रयास है | (Philosophy is an attempt to understand the world in its entirety)
  • दर्शन शास्त्र का संबंध मूलभूत प्रश्नों से है | (Philosophy is concerned with fundamental questions)
  • दर्शन शास्त्र सामान्य सिद्धांतों की खोज करता है | (Philosophy searches for general principles)
  • संप्रत्ययों का स्पष्टीकरण | (clarification of concepts)

Q.3. दर्शन शास्त्र के विषयक्षेत्र का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए (Briefly describe the scope of philosophy) ?

उत्तर- दर्शन शास्त्र का विषयक्षेत्र व्यापक है, इसकी निम्न शाखाएं हैं (The subject area of ​​philosophy is wide, it has the following branches)-
1. शब्द मीमांसा (Semantics) – शब्द मीमांसा में शब्द क्या है, उसका अर्थ क्या है, अर्थ शब्द का अर्थ क्या है, शब्द और वस्तु के बीच क्या संबंध है आदि पर विचार किया जाता है | (In Semantics, what is a word, what is its meaning, what is the meaning of a word, what is the relationship between a word and an object etc. are considered.)


2. ज्ञान मीमांसा (Epistemology)- ज्ञान क्या है, उसका स्वरूप क्या है, ज्ञान का स्रोत क्या है, इसका विस्तार तथा सीमा क्या है, इसका क्या अस्तित्व है आदि का विश्लेषण | (Analysis of what is knowledge, what is its nature, what is the source of knowledge, what is its extent and limit, what is its existence etc. )


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